कछवाहों के तरेपन तड़ और बारह कोटड़ी का गीत
कहूँ त्रेपन तड़ कछवाहा, बुध सारू बरणु बाखाण।
धरे शीश सबै रजधारी, पाताल हररो हुकुम प्रयाण।।
मेल निकुंभ कूरम धीरावत,रालणोत डांगी प्रधान।
राणावत बीकावत राधर,जेसरपोता वदै जहान।।
सोहाणा जोगा सोडावत, उदावत खेतावत अंग।
भीखावत गोगावत भाखै, अखां हमीर हरा अण भंग।।
ईसरणा पोता कीतावत, भाखरोत डूँगा सुनियाणा।
खानतणा, नापावत खत्री,जंग नरुका अचल जवान।
राजावत शेखावत राजे,बालापोता अरु बणबीर।
कुंभाणी, झामावत कूरम, कुंभावत दातार कंठीर।।
बलभद्रोत अनामि बांका(वत),बदि स्योब्रहम पोता बरबीर।
पिच्याणोत पूर्णमल पेखै,सूरतानोत री झरस सीर।
चत्रभूजोत खैरदी चावा, पतलोत नाथावत पाण।
खंगारोत आसापत खेला, रूपसिंह देलावत राण।।
किलाणोत प्रतापोता कथ, सिंघाणी कुंतला सराह।
साईंदास रामसिंह सुकहि,कही तरेपन तड़ कछवाह।।
डॉ पुरेंद्र सिंह पिचानोत
श्री राजपूत करणी सेना
No comments:
Post a Comment